ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम होना एक आम बात है। लेकिन यह सर्दी -जुकाम काफी तकलीफ पहुंचाता है। जुकाम को खत्म करने के लिए हम तरह-तरह की दवाईयों का सेवन करते हैं। इसके बावजूद भी कई बार जुकाम ठीक होने का नाम ही नहीं लेता। इसलिए इस बार दवाईयों के बजाय योग करके सर्दी-जुकाम से मुक्ति पाएं। ऐसे कई आसन है जिन्हें करने से सर्दी-जुकाम दूर हो जाता है। आइए जानते हैं कौन-से हैं ये आसन।
पादहस्तासन
पादहस्तासन के लिए आपको सीधे खड़े होने की जरूरत है। अपने कूल्हों से झुके और अपनी अंगुलियों के साथ अपने पैरों को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकेंड के लिए ऐसे ही रहें और फिर इन्हें मुक्त कर दें। नीचे की ओर झुकने पर पेट पर दबाव पड़ता है जिससे पेट की चर्बी कम होने में मदद मिलती है।
विपरीत करनी
इस आसन को करने से आपका जुकाम धीरे-धीरे कम होने लगेगा। विपरीत करनी आसन सर्दी -जुकाम को कम करने में बेहद सहायक है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दीवार की ओर पैर करके लेट जाएं। अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा लें। ध्यान रहे कि आपके तलवे ऊपर की ओर होने चाहिए और 90 डिग्री का कोण बना लें। अब अपने नितंब को ऊपर उठा लें और उसके नीचे तकिया रख लें। इस अवस्था में आप करीब पांच मिनट तक रह सकते हैं।
मत्स्यासन
मत्स्यासन के अभ्यास से श्वसन संबंधी रोगों व सर्दी–जुकाम से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। इस आसन में गहरी सांस लेने की वजह से सर्दी–जुकाम पर काबू पाया जाता है। मत्स्यासन को करने के लिए दण्डासन में बैठकर दाएं पैर को बाएं पैर पर रखकर अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। अब अपने हाथों का सहारा लेते हुए पीछे की ओर अपनी कोहनियां टिकाकर लेट जाएं। पीठ और छाती ऊपर की ओर उठी और घुटने भूमि पर टिकाकर रखें। अब अपने हाथों से पैर के अंगूठे पकड़ें और गहरी सांस लेते रहें। ध्यान रखें आपकी कोहनी जमीन से लगी होनी चाहिए।
प्राणायाम
जुकाम, खांसी, बुखार (वायरल) के ठीक होने पर सरल कपालभाति तथा नाड़ीशोधन प्राणायाम का अभ्यास करने से कमजोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता, उत्साह एवं स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। नियमित प्राणायाम करने से बंद नाक और कफ से होने वाली समस्या में भी राहत मिलती है। योगासन की शुरुआत कर रहे हैं तो विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करें।
शीतली
इस प्राणायाम से पित्त, कफ, अपच जैसी बीमारियां बहुत जल्द समाप्त हो जाती हैं। योग शास्त्र के अनुसार लंबे समय तक इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से व्यक्ति पर जहर का भी असर नहीं होता। 11 बार शीतली कर भूख-प्यास पर कंट्रोल किया जा सकता है और मुंह व गले के रोग सहित पित्त संबंधी रोग भी मिट जाते हैं। इससे शरीर शीतल बना रहता है।