इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने काफी विमर्श के बाद कोविड मरीजों में प्लाज्मा थेरपी पर रोक लगा दी है। लेकिन हाल तक इस थेरपी का इस्तेमाल कोविड के कुछ मरीजों में किया जाता रहा। कोविड के अलावा भी प्लाज्मा थेरपी कुछ बीमारियों में इस्तेमाल की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्लाज्मा थेरपी के कुछ नुकसान या साइड इफेक्ट (Plasma Therapy Side Effects) भी हो सकते हैं। इस बारे में हेल्थ ओपीडी ने इंडियन सोसायटी ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के प्रेसिडेंट डॉ. आर. एन. मकरू (Dr. R.N. Makroo, President of Indian Society of Transfusion of Medicines) से बातचीत की।
डॉ. आर. एन. मकरू (Dr. R. N. Makroo) ने बताया कि प्लाजा थेरेपी या ब्लड चढ़ाने के कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि ब्लड डोनेशन के कई फायदे हैं, लेकिन बिना जांच के मरीज को ब्लड चढ़ाने से बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में हमेशा इस बात का ध्यान रखा चाहिए कि प्लाज् थेरेपी के दौरान ब्लड ग्रुप हमेशा चेक करें।
उन्होंने कहा कि ब्लड लेने के दौरान ब्लड डोनर की पूरी हिस्ट्री क्रॉस चेक की जाती। उसका हीमोग्लोबिन लेवल के अलावा यह भी देखा जाता है कि उसे कोई और बीमारी तो नहीं है। कई बार तो मरीज को ब्लड या प्लाज्मा डोनेशन के दौरान ही किसी छुपी बीमारी का पता चलता है। इसकी वजह यह हो सकती है कि डोनर देखने में पूरी तरह सेहतमंद हो और उसे अपने अंदर छुपी बीमारी का अनुमान ही न हो। जांच के बाद इस बात को भी सुनिश्चित किया जाता है कि कहीं डोनर के ब्लड में कोई इन्फेक्शन तो नहीं है।
कई बार मरीज को ब्लड या प्लाज्मा चढ़ाने के बाद बुखार आना, खुजली होना, रैशेज होना जैसे कई अन्य साइड इफेक्ट हो सकते हैं। प्लाज्मा थेरेपी के बाद मरीज की निगरानी की जाती है कि कहीं ब्लड चढ़ाने के बाद मरीज में कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहे। अगर ऐसा कुछ लगता है तो मरीज को इसके लिए दवा दी जाती है।
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