Homeopathy in corona: होम्योपैथी इलाज की बहुत पुरानी विधा है। होम्योपैथी सिर्फ व्यक्तिगत लक्षणों का इलाज नहीं करती बल्कि संपूर्ण उपचार के लिए व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति के अलावा पूरे व्यक्तित्व पर भी ध्यान देती है। होम्योपैथी किस बीमारी में कितनी असरदार है, इससे जुड़े बड़े मिथ क्या हैं और कोरोना समेत किसी भी वायरल बीमारी से निपटने में होम्योपैथी कितनी असरदार हो सकती है, बता रहे हैं सीनियर होम्योपैथ डॉ. शुचींद्र सचदेवः
क्या वाकई छद्म (Placebo) विज्ञान है होम्योपैथी
होम्योपैथी को बहुत-से लोग छद्म (placebo) साइंस मानते हैं। यह सही नहीं है लेकिन अगर ऐसा सही है और फिर भी यह प्रभाव डालती है, तो इससे अच्छी बात नहीं हो सकती। प्लेसिबो के प्रभाव को झूठ साबित करने के लिए बहुत-सी ब्लाइंड और डबल ब्लाइंड (Blind and Double Blind) स्टडीज की गई हैं। ये स्टडीज़ बहुत सारी जनरल्स में पब्लिश हो चुकी हैं। ये स्टडी साबित करती हैं कि छद्म वाली बात होम्योपैथिक पर पूरी तरह गलत आरोप और लांछन है। वैसे भी अगर कोई भी चीज सिर्फ छद्म होती तो वह 200 साल तक जीवित न रहती।
होम्योपैथी के असर में कितना वक्त लगता है?
होम्योपैथी हर बीमारी के लिए असरदार है बल्कि कुछ बीमारियों, जैसे कि गॉल ब्लैडर स्टोन, अस्थमा, माइग्रेन आदि जहां दूसरी पैथी काम ही नहीं करतीं, होम्योपैथी वहां भी काफी असरदार है। खास बात यह है कि आम धारणा के उलट होम्योपैथी एक्यूट बीमारियों में ज्यादा असरदार है। स्थायी बीमारियों में भी होम्योपैथिक दवाइयां असरदार हैं। हां, मरीज को ठीक होने में थोड़ा वक्त जरूर लगता है।
किन बीमारियों में ज्यादा असरदार है होम्योपैथिक दवाएं?
सर्दी, जुखाम से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों तक में होम्योपैथिक दवाएं असरदार साबित हुईं हैं। ऐसी कई बीमारियां हैं जिन्हें होम्योपैथिक दवाएं जड़ से खत्म कर देती हैं। वहीं कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जिसमें मरीज की क्वॉलिटी ऑफ लाइफ को सुधारने का काम करती हैं। पर हमें होम्योपैथी कि लिमिटेशन पर भी ध्यान देना होगा। अगर किसी को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होती है तो होम्योपैथिक दवाई से सिर्फ उसे कुछ समय के लिए आराम दिलाया जा सकता है, पर बचाया नहीं जा सकता।
कोरोना में होम्योपैथी कितनी असरदार?
आजतक जब भी महामारी फैली, उसमें होम्योपैथी ने अहम भूमिका निभाई है। आपको बता दें कि वायरल बीमारियों को खत्म नहीं किया जा सकता। ऐसा माना जाता है कि वह जीवित ही नहीं है, तो उसे मार कैसे सकते हैं लेकिन उसके दुष्प्रभाव को खत्म कर सकते हैं। कोरोना में भी होम्योपैथिक दवाएं मरीजों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं। होम्योपैथी मरीज के शरीर का इम्यूनिटी लेवल बढ़ा देती है। इससे वायरस के खतरे को बढ़ने से रोका जा सकता है। अगर हम बात करें इतिहास की तो कॉलरा, इन्फ्लूएंजा, प्लेग आदि महामारियों में होम्योपैथी का इलाज बहुत ही असरदार साबित हुआ है।
होम्योपैथी की दवाओं को असर करने में कितना समय लगता है?
ऐसे में यह भी एक सवाल लोगों के मन में उठ रहा होगा कि अगर कोई बीमार नहीं है, तो भी क्या इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए होम्योपैथी की दवाएं ले सकता है?आपको बता दें कि यह एक अव्यवस्थित घटना नहीं है। सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथिक रिसर्च के एक्सपर्ट्स ने जब वुहान में कोरोना महामारी फैली थी। वहां के हालातों और कोरोना के संक्रमण को देखते हुए लोगों को आर्सेनिक एल्बम 30 लेने को कहा था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह बहुत ही असरदार है। यह लोगों का इम्यूनिटी लेवल भी बढ़ाने में कारगर है, कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए। वहीं कोरोना महामारी के समय में सबसे ज्यादा प्रयोग में लाई जाने वाली दवाई आर्सेनिक एल्बम 30 ही थी।
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