हाई ब्लड शुगर लेवल को हम डायबिटीज़ यानी मधुमेह के नाम से भी जानते हैं। शुगर का लेवल बढ़ने पर स्किन से लेकर आंखों और नर्वस सिस्टम से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। डायबिटीज़ तब होती है, जब ब्लड ग्लूकोज़ या ब्लड शुगर बहुत ज्यादा हो जाता है। ब्लड ग्लूकोज़ हमारी एनर्जी का मुख्य सोर्स है और यह हमें खाने से मिलता है। इस ग्लूकोज़ को एनर्जी में बदलने का काम करता है इंसुलिन। इंसुलिन एक हॉर्मोन है, जिसे पैंक्रियाज़ बनाता है। कभी-कभी हमारा शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या अच्छी तरह से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं करता, तो ग्लूकोज खून में रह जाता है और सेल्स तक नहीं पहुंच पाता।
डायबिटीज़ एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देती है। एक बार होने पर आमतौर पर जिंदगी भर यह बीमारी बनी रहती है। डायबिटीज़ को नजरअंदाज कर दिया जाए तो जाए तो शरीर के दूसरे अंग निष्क्रिय हो सकते हैं।
फोर्टिस सी-डॉक अस्पताल के चैयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा की एक रिसर्च के अनुसार इस वक्त भारत में करीब 7 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज़ के मरीज हैं। दुनिया की प्रतिष्ठित रिसर्च मैगजीन ‘द लैंसेट’ ने चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की प्रोफाइलिंग कर रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के पीड़ितों में ज्यादातर ऐसे मरीज पाए गए जो पहले से ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन या दिल की बीमारी से पीड़ित रह चुके हैं यानी डायबिटीज़ दूसरी बीमारियों को भी न्यौता देती है।
जानें टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज़ में फर्क
टाइप-1 डायबिटीज़
जब शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, तब टाइप-1 डायबिटीज़ होती है। ऐसे में ब्लड शुगर लेवल को नॉर्मल रखने के लिए मरीज को पूरी तरह से इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहना पड़ता है। टाइप-1 डायबिटीज़ जन्मजात होती है। दवा से इसका इलाज संभव नहीं हो पाता इसलिए रोजाना इंसुलिन लेना पड़ता है।
टाइप-2 डायबिटीज़
अगर शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम होने लगे और शरीर उसे ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाए तो डायबिटीज़ टाइप-2 की शिकायत शुरू हो जाती है। बढ़ती उम्र में डायबिटीज़ टाइप-2 सामान्य है और यह आमतौर पर 40 से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है। हालांकि ऐसा नहीं कि सिर्फ बढ़ती उम्र में डायबिटीज़ टाइप-2 होती है। खराब लाइफस्टाइल की वजह से यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है।
डायबिटीज़ के कारण
डायबिटीज़ की कई वजहें हैं। इनमें खास हैंः
पैंक्रियाज़ ग्लैंड
पैंक्रियाज़ ग्लैंड का सही से काम न करना डायबिटीज़ का सबसे बड़ा कारण है। दरअसल पैंक्रियाज़ से तरह-तरह के हॉर्मोंस निकलते हैं। इनमें इंसुलिन और ग्लूकागॉन भी शामिल हैं। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इंसुलिन के जरिए ही हमारे सेल्स को शुगर मिलती है यानी इंसुलिन शरीर के दूसरे हिस्सों में शुगर पहुंचाने का काम करता है। जब इंसुलिन न बने या कम बने तो डायबिटीज़ की समस्या हो सकती है।
पेट से जुड़े बैक्टीरिया
डायबिटीज़ का संबंध आंत में बैक्टीरिया की बढ़ती या कम होती संख्या से भी है। उदाहरण के तौर पर अगर आंत में बिफ़िडोबैक्टीरियम नस्ल के बैक्टीरिया की संख्या ज़्यादा होती है, तो ग्लूकोज़ टॉलरेंस बढ़ता है। ग्लूकोज़ टॉलरेंस टाइप 2 डायबिटीज़ में एक तरह का मापक है, जो बताता है कि आपके शरीर में ग्लूकोज़ कितनी आसानी से और जल्दी जज्ब होता है।
मोटापा
मोटापा भी डायबिटीज़ का मुख्य कारक है। वजन बहुत बढ़ा हुआ हो, बीपी ज्यादा हो और कॉलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में ना हो तो डायबिटीज़ हो सकती है। बहुत ज्यादा मीठा खाने, नियमित रूप से बाहर का खाना खाने, कम पानी पीने, एक्सरसाइज ना करने, खाने के बाद तुरंत सो जाने या ज्यादा समय तक लगातार बैठे रहना आदि कारण भी डायबिटीज़ को जन्म दे सकते हैं।
पूरी नींद न ले पाना
जो लोग नियमित रूप से रात में छह घंटे से कम की नींद लेते हैं या जिनकी नींद डिस्टर्ब होती है, मसलन सोने के दौरान बीच-बीच में नींद खुलती रहती है, ऐसे लोग भी प्री डायबिटीज़ के शिकार हो सकते हैं। सोने में परेशानी का कारण हॉर्मोन में असंतुलन हो सकता है। ब्लड ग्लूकोज बढ़ने के कारण हॉर्मोन असंतुलन की समस्या होती है।
डायबिटीज़ के लक्षण
डायबिटीज़ के लक्षण कुछ दिनों या हफ्तों में अचानक विकसित हो सकते हैं।
मधुमेह एक प्रगतिशील स्थिति है जो धीरे-धीरे विकसित होती है। इसके लक्षण बहुत धीरे-धीरे विकसित होते हैं। आप उन संकेतों या लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं, तो आप इस समस्या को अपने लिए बढ़ा सकते हैं।
1 ) पेशाब अधिक बार आना
2 ) वजन घटना
3 ) थकान
4 ) मनोदशा में बदलाव
5 ) स्किन में संक्रमण या खुजली
6 ) पेट में दर्द
7 ) अत्यधिक भूख
8 ) कमजोरी
9 ) सिरदर्द
10 ) धुंधला दिखना
11 ) अत्यधिक प्यास लगना
डायबिटीज़ के मरीज क्या करें, क्या न करें
एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस या फिर किसी भी वायरस के संक्रमण से बचने के लिए डायबिटीज़ के मरीजों को ज्यादा सजग और सावधान रहना चाहिए। डायबिटीज़ मरीजों पर वायरस अटैक की आशंका ज्यादा होती है इसलिए उन्हें अपना शुगर लेवल बराबर चेक करते रहना चाहिए। शुगर लेवल को काबू में रखकर ही संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।
मरीज क्या करें
1 ) डायबिटीज़ की दवा लेना न भूलें । अगर शुगर लेवल बढ़ा हुआ है या फिर इंसुलिन बिलकुल नहीं बन रहा तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार इंसुलिन का इंजेक्शन ज़रूर लें ।
2 ) डायबिटीज़ के मरीज़ को रोजाना एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। एक्सरसाइज के तौर पर रोज़ाना पैदल चलें, साइकिल चलाएं या फिर बाहर जाकर खेलें।
3 ) डायबिटीज़ के मरीजों को इन्फ्लुएंजा, हेपटाइटिस बी आदि का टीका ज़रूर लगवाना चाहिए ताकि दूसरी बीमारियों की आशंका कम हो सके।
4 ) डायबिटीज़ से बचाव के लिए समय-समय पर शुगर की जांच कराते रहें । जांच करने वाली मशीन अपने पास ही रखें तो बेहतर है। साथ ही, समय-समय पर अपनी आंखों और पैरों की जांच ज़रूर कराते रहें। इन दोनों अंगों पर डायबिटीज़ का खासतौर पर खराब असर पड़ता है।
5) शुगर को कम करने के लिए संतुलित खाना खाएं। साथ ही कम नमक, कम शुगर और कम फैट वाली चीजें ही खाएं। ज्यादा-से-ज्यादा मात्रा में फाइबर वाली चीज़ों खाना भी बेहद जरूरी है।
क्या न करें
1 ) डायबिटीज़ के मरीज़ को स्मोकिंग नहीं करनी चाहिए। अगर मरीज़ लगातार स्मोकिंग करता है तो उसके पैरों और फेफड़ों में ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है, जिससे अल्सर होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही दिल की बीमारी, स्ट्रोक, आखों की बीमारी आदि समस्याएं बढ़ने का ख़तरा बढ़ जाता है ।
2 ) डायबिटीज़ के मरीज़ को अपने दांतों का भी खास ख्याल करना पड़ता है। दांतों की सेहत को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए। मसूड़ों में संक्रमण की वजह से भी डायबिटीज़ की समस्या हो सकती है। मसूड़ों से खून आना और सूजन जैसी समस्या हो तो डाक्टर को ज़रूर दिखाएं ।
3 ) पैरों में होने वाली दर्द या सुन्नपन को बिलकुल नज़रअंदाज न करें। शुगर का स्तर कम होने से ब्लड सर्कुलेशन का लेवल कम हो जाता है और पैरों के सेल्स क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। पैरों में दर्द और झनझनाहट की समस्या हो सकती है ।
4 ) डायबिटीज़ के मरीज को ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल का खास ध्यान रखना चाहिए। हाई बीपी और हाई कॉलेस्ट्रॉल की वजह से ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचता है। इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की समस्या हो सकती है इसलिए बीपी और कॉलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रखना जरूरी है।
5 ) डायबिटीज़ के मरीज़ को शराब से बचना चाहिए। शराब पीने से शुगर का स्तर या तो बहुत ही कम हो जाता है या बहुत ही बढ़ जाता है। अधिक मात्रा में शराब पीना शुगर के मरीज के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
6 ) डायबिटीज़ के मरीज़ को जितना हो सके, तनाव से दूर रहना चाहिए। अगर किसी बात का तनाव है तो उसे कम करने के लिए वह काम करें, जिससे खुशी मिलती हो।
डायबिटीज़ के खतरे को कैसे कम करें
कुछ बातों का ध्यान रख कर डायबिटीज़ के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। ऐसे खास टिप्स हैंः
शुरुआती लक्षणों को न करें नज़रअंदाज़
नींद आने में दिक्कत हो, बार-बार पेशाब आए या वजन बहुत तेजी से कम हो तो डॉक्टरी जांच और लाइफस्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है। अगर आप शुरुआत में ही लक्षणों को पहचान लेंगे तो स्थिति को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। कोई भी लक्षण नजर आने पर शुगर टेस्ट जरूर कराएं। साथ ही, बेहतर डाइट और एक्सरसाइज को रुटीन का हिस्स बनाएं।
स्वस्थ वजन बनाए रखें
मोटापा की वजह से डायबिटीज़ का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। कई स्टडी में यह बात सामने आई है कि स्वस्थ वजन वालों के मुकाबले मोटे लोगों को डायबिटीज़ का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में वजन पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है।
नियमित व्यायाम करें
शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए नियमित व्यायाम जरूरी है। इसके साथ ही व्यायाम आपको डायबिटीज़ की समस्या से भी बचाने में मदद कर सकता है। वॉकिंग सबसे सिंपल और असरदार एक्सरसाइज मानी जाती है।
खाने में फाइबर को करें शामिल
हमारे खाने में फाइबर का होना बहुत जरूरी है। फाइबर पाचन को स्वस्थ रखने के साथ-साथ लंबे समय तक पेट भरे रहने का अहसास दिलाता है। साथ ही, यह ब्लड शुगर लेवल को भी सही बनाए रखता है। इसके अलावा फाइबर दिल को स्वस्थ रखता है और वजन बढ़ने से रोकता है।
कोला ड्रिंक्स को करें ना
कोल्ड ड्रिंक्स, सोडा या पैक्ड जूस में शुगर की ज्यादा मात्रा होती है। ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिए सोडा या पैक्ड जूस का सेवन बिलकुल न करें। पैक्ड ड्रिंक्स के बजाय ज्यादा-से-ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें। यह शरीर को डिटॉक्स करने के साथ-साथ अंगों को स्वस्थ रखने में मदद करेगा।
जिन चीजों में शुगर की मात्रा ज्यादा है, उन्हें खाने से बाहर कर देना चाहिए। उदाहरण के लिए अगर कोई सुबह उठते ही मीठी चाय पीता है, मियोनेज, बटर या सॉस के साथ ब्रेड खाता है तो इन चीजों को तुरंत बंद कर दें।
डायबिटीज़ से बचने के उपाय
इस रोग की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि आप यह नहीं कह सकते कि यह बीमारी आपको हो सकती है या नहीं इसलिए, बेहतर है कि पहले से सही कदम उठाएं और इससे दूर रहें।
स्मोकिंग से तौबा, शराब की लिमिट करें तय
जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनमें डायबिटीज़ होने का खतरा दोगुना हो जाता है। शुगर का खतरा कम करने के लिए स्मोकिंग से पूरी तरह तौबा कर लें। इसी तरह, शराब भी लिमिट में ही पिएं। हफ्ते में 10 पैग से ज्यादा पीना सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है।
भरपूर नींद लें
रोज़ाना रात को कम-से-कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद बहुत जरूरी है। भरपूर नींद दिन के दौरान आपकी एनर्जी का स्तर बनाए रखेगी। साथ ही यह हाई कैलरी वाले खाने की इच्छा भी कम करेगी।
टेंशन को करें टाटा
तनाव न सिर्फ डायबिटीज़, बल्कि दूसरी भी बहुत सारी बीमारियों को न्यौता देता है। स्टडी बताती हैं कि तनाव के हॉर्मोन्स ब्लड शुगर के लेवल में बदलाव लाते हैं और डायबीटिज़ के जोखिम को बढ़ा देते हैं।
स्वस्थ खाएं
हमारे खाने में फैट की मात्रा 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए जबकि सैचुरेटेड फैट 10 फीसदी से ज्यादा बिलकुल नहीं होना चाहिए। सब्जियां, ताज़े फल, साबुत अनाज, डेयरी प्रोडक्ट्स और ओमेगा फैट वाली चीजों जैसे कि अखरोट, फ्लैक्स सीड्स, चिया सीड्स, टूना या सैल्मन फिर आदि को खाने में शामिल करें। इसके अलावा फाइबर भी ज्यादा मात्रा में लें।
खाने के हिस्से को सीमित रखें
आप कितना खाते हैं और कब खाते हैं, यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। खाना तय वक्त पर ही खाएं और जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम ही खाएं। खाने के पैटर्न में अनियमितता भी ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है।
डायबिटीज़ के लिए योग और एक्सरसाइज
नियमित तौर पर योग का अभ्यास मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। विभिन्न योगासनों के अभ्यास से शरीर की अंतःस्त्रावी प्रणाली ( Endocrine System) और प्रत्येक अंग के सेलुलर लेवल को भी फ़ायदा पहुंचता है। साथ ही विभिन्न आसनों से शरीर को आराम मिलने के चलते पैनक्रियाज़ (अग्न्याशय) को फैलने में मदद मिलती है। डायबिटीज़ से जूझ रहे लोगों के लिए शुरुआत के तौर पर सही आसन, मुद्रा में बैठना और ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ को सबसे अच्छा योग कहा जाता है।
डायबिटीज़ को कंट्रोल करने वाले योगासन
भुजंगासन
भुजंगासन योग को अंग्रेज़ी में कोबरा पोज़ कहते हैं । डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों के लिए यह योग काफी फायदेमंद है ।
पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन ख़ासतौर से पैनक्रियाज़ (अग्न्याशय), लिवर और पेट की मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए लाभदायक है।
वज्रासन
वज़्रासन पाचन क्रिया में सहायता करने और पेट से संबंधित सभी समस्याओं से राहत पाने का सबसे उत्तम तरीक़ा है। अगर आप कमर के आसपास के अतिरिक्त फ़ैट को कम करना चाहते हैं, तो ये उसमें भी काफी मदद करता है।
ताड़ासन
ताड़ासन बहुत ही बुनियादी आसन है और शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है। यह आसन गैस, अपच, एसिडिटी और पेट के फूलने से राहत दिलाता है।
ये एक्सरसाइज डायबिटीज़ में खास असरदार
अगर खून में शुगर का लेवल काबू में रहेगा तो डायबिटीज़ में कुछ जटिलताओं के विकसित होने का खतरा कम हो जाता है। अमेरिकन डायबिटीज़ असोसिएशन के अनुसार डायबिटीज़ के मैनेजमेंट के लिए एरोबिक और स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग, दोनों तरह के व्यायाम करना अच्छा रहता है।
स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग
इसे रेजिस्टेंस ट्रेनिंग भी कहते हैं। यह व्यायाम शरीर को इंसुलिन के प्रति संवेदनशील बनाता है। खून में शुगर का लेवल कम करने में मदद करता है। इसे सप्ताह में दो बार करें, पर लगातार दो दिन न करें।
ब्रिस्क वॉकिंग
जिन्हें डायबिटीज़ की समस्या होती है, उन्हें सप्ताह में 5 दिन जरूर ब्रिस्क वॉकिंग करने की सलाह दी जाती है। हर दिन सिर्फ 30 मिनट ब्रिस्क वॉक करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
स्वीमिंग
स्वीमिंग करने से शरीर मजबूत और लचीला, दोनों होता है। स्वीमिंग मसल्स को ठीक से फैलाता है, साथ ही वजन भी कम करता है। मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। तैराकी जोड़ों पर दबाव नहीं डालती। आप सप्ताह में कम से कम तीन बार तैराकी का अभ्यास कर सकते हैं।
डांस करना
नृत्य यानी डांस आपके शरीर और दिमाग को आराम देने का एक शानदार तरीका है। यह कुछ ही समय में आपको खुश कर सकता है। डांस तनाव को करने में मदद करता है। एक ही समय में बड़ी मात्रा में कैलोरी बर्न करता है।
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