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कैंसर क्या है, इससे कैसे बचा जा सकता है - ㅤㅤㅤㅤㅤㅤㅤㅤㅤ
 
कैंसर क्या है, इससे कैसे बचा जा सकता है
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कैंसर एक ऐसा शब्द जिसको सुनने के बाद अच्छे-अच्छे लोग भी सहम जाया करते हैं । किसी को डराने के लिए ये शब्द अपने आप में काफी घातक साबित होता है । लोगों में कैसंर को लेकर इतना डर बसा हुआ है कि लोग अकसर इस बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और कैंसर खतरनाक हो जाता है। अगर मरीज लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान दें और पता चलते ही उसका इलाज कराए तो कैंसर पूरी तरह ठीक हो सकता है। मगर लोग आज भी इस बीमारी को लेकर डर बसा के रखते हैं । हालांकि, कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का कहना है कि पहली स्टेज के कैंसर के सौ फीसदी ठीक होने के आसार होते हैं । कैंसर दुनिया में दूसरा सबसे अधिक जानलेवा रोग है, और इंसानों की मौतों का सबसे आम कारण भी है।

यह अध्ययन जर्नल ऑफ ग्लोबल आन्कोलाजी में प्रकाशित हुआ है। कोलकाता स्थित टाटा मेडिकल सेंटर के डिपार्टमेंट ऑफ डाइजेस्टिव डिजीस के मोहनदास के मल्लाथ और किंग्स कालेज, लंदन के शोधछात्र राबर्ट डी स्मिथ की ओर से एक फेलोशिप के तहत यह अध्ययन किया गया है।

अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर 20 साल में कैंसर के मामले दोगुने हो जाएंगे। भारत में वर्ष 2018 में कैंसर के 11.50 लाख नए मामले सामने आए थे। वर्ष 2040 तक इस तादाद के दोगुनी होने का अंदेशा है। वर्ष 1990 से 2016 के बीच के 26 वर्षों के दौरान देश में इस बीमारी से मरने वालों की दर भी दोगुनी हो गई है।

 आइये जाने क्या होता है कैंसर ?

शरीर कई प्रकार कि कोशिकाओं से बना है । हमारे शरीर में कोशिकाओं (सेल्स) का लगातार विभाजन होता रहता है और यह सामान्य-सी प्रक्रिया है, जिस पर शरीर का पूरा कंट्रोल रहता है। लेकिन जब शरीर के किसी खास अंग की कोशिकाओं पर शरीर का कंट्रोल नहीं रहता और वे असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो उसे कैंसर कहते हैं। जैसे-जैसे कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं बढ़ती हैं, वे ट्यूमर (गांठ) के रूप में उभर आती हैं।

यह ट्यूमर शरीर में खून के जरिए शरीर के बाकि हिस्सों में फैलता है। इस प्रक्रिया को मेटास्टैसिस कहते हैं। इसमें कैंसर सेल्स बढ़कर नया ट्यूमर बनाती हैं। सबसे पहले ये सेल्स शरीर को इंफेक्शन से बचाने वाले अंग लिम्फ नोड यानि लसीकापर्व में फैलती हैंय़ लिम्फ नोड गले, प्राइवेट पार्ट्स और अंडर आर्म्स में मौजूद होते हैं। इनके अलावा कैंसर खून या ब्लड स्ट्रीम के जरिए हड्डियों, लीवर, फेफड़ों और दिमाग में फैलता है। इन जगहों पर फैलने के बाद कैंसर जिस जगह से शुरू होता है उसे वही नाम दिया जाता है। कैंसर मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है बल्कि जानवरों और अन्य जीवों को भी कैंसर हो सकता है।

हर ट्यूमर कैंसर नहीं कहा जा सकता

बिनाइन ट्यूमर नॉन-कैंसरस होते हैं, जबकि मेलिग्नेंट ट्यूमर को कैंसर माना जाता है। बिनाइन ट्यूमर से जीवन को कोई खतरा नहीं होता और यह फैलता भी नहीं है। यह जिस अंग में होता है, वहीं रहता है और वहीं से इसे सर्जरी के जरिए हटा दिया जाता है। दूसरी तरफ मेलिग्नेंट ट्यूमर बदमाश होते हैं। ये अपने आसपास के अंगों पर भी हमला कर कर देते हैं और उन्हें भी अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। इनकी ताकत इतनी ज्यादा होती है कि ये ट्यूमर से अलग हो जाते हैं और ब्लड में घुस जाते हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में भी फैलना शुरू हो जाता है। फैलने की इस प्रक्रिया को मेटास्टैटिस कहा जाता है।

कई कैंसर और असामान्य कोशिकाएं जो कैंसर के ऊतकों (Tissues) की रचना करती हैं, उन्हें उस ऊतक के नाम से पहचाना जाता है, जो असामान्य कोशिकाओं से उत्पन्न हुआ है । उदाहरण के लिए, स्तन कैंसर, फेफड़े का कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर। भारत में पिछले दो दशकों में कैंसर की बीमारी का उभार बहुत तेजी से हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि इस वक्त देश में 22.5 लाख लोग कैंसर से जूझ रहे हैं। हर साल देश में करीब 11.5 लाख लोगों में कैंसर का पता चलता है। कैंसर की वजह से हर साल करीब 7.5 लाख लोगों की मौत होती है।

कैंसर से कैसे बचा जा सकता है

यह सच है कि अभी तक कैंसर की कोई कारगर दवा तैयार नहीं हुई है। लेकिन कुछ बातों का हम पहले से ही ख्याल रखें तो यह रोग हमारे शरीर को छू भी नहीं पाएगा।  डॉक्टर और वैज्ञानिक लगातार उन कारणों का पता लगाने में जुटे हुए हैं जिनसे कैंसर होता है। कोशिश यह भी जानने की है कि क्या खा कर और किस चीज का परहेज कर कैंसर से बचा जा सकता है।

पर्यावरण की सुरक्षा और हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर कैंसर से बचाव में मदद मिल सकती है। नई दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के हेड एंड नेक (सिर एवं गला) सर्जिकल ओंकोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुदित अग्रवाल का कहना है, “रोबोटिक सर्जरी जैसी नई तकनीकों से कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आया है, क्योंकि रोबोट ऐसे किसी भी हिस्से में बने ट्यूमर तक पहुंच सकता है, जहां इलाज के पारंपरिक तरीके में पहुंचना मुश्किल है।

कैंसर से बचाओ के लिए कुछ प्रमुख बातें

1. खाने का तेल इस्तेमाल करने से पहले यह देख लें कि आप जो तेल खाने जा रहे हैं वह स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है। ऑलिव ऑयल या फिर कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल भोजन पकाने में करें।

2. शक्कर का सेवन कम-से-कम करें। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि महिलाओं में कोलोरेक्टल कैंसर की सम्भावना शक्कर के सेवन से काफी बढ़ जाती है।

3. ज्यादा से ज्यादा पत्तेदार सब्जियाँ, चना और फल खाने की कोशिश करें। सब्जियों और फलों में फाइबर मौजूद होता है जो रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है। यह कई प्रकार के कैंसर से लड़ने में मददगार होता है। फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, एवोकाडो, गाजर जैसे फल और सब्जियाँ जरूर खाएँ।

4.  सबसे महत्पूर्ण बात कि अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखें। ज्यादा भावुक होना भी कैंसर को न्यौता देना है। आप अगर पौष्टिक आहार ले भी रहे हैं और आप भावनात्मक रूप से कमजोर हैं तो पौष्टिक आहार भी अपना प्रभाव नहीं दिखा पाएगा।

5.  नमक का सेवन संतुलित मात्रा में करें। ज्यादा नमक खाने से पेट का कैंसर हो सकता है और  अपने शरीर के वजन को संतुलित रखें। मोटापे से स्तन कैंसर और मलाशय कैंसर का डर बना रहता है।

6.टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करते हैं। टमाटर, विटामिन A, C और E का भी बेहतरीन स्त्रोत है। इसके साथ ही ये ब्रेस्ट कैंसर से भी बचाव का अच्छा उपाय है। टमाटर का जूस पीने या फिर इसे सलाद के रूप में लेना फायदेमंद होता है।

7. धूम्रपान और तंबाकू का सेवन न करें। साथ ही डिब्बाबंद और जंक फूड से बचना चाहिए। इनमें पाए जाने वाले कई रसायन शरीर में कैंसर उत्पन्न कर सकते हैं।

8. कैंसर से बचाव के लिए तीस मिनट का लगातार व्यायाम कैंसर को दूर रखने में मददगार है। इसके अलावा हरी सब्जियां, फल भी शरीर को स्वस्थ रखकर कैंसर का खतरा घटा सकते हैं।

9. तंबाकू खाने वाले, धूम्रपान करने वाले, जंक फूड अधिक खाने वाले और शारीरिक व्यायाम से दूर रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा अधिक होता है।

10.  अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बना रहे हैं जो पैपिलॉमा वायरस से प्रभावित है तो आप भी इसकी चपेट में आ सकते हैं क्योंकि यह वायरस फैलने वाला होता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाने से बचें।

दुनिया भर के वैज्ञानिक और पोषणविज्ञानी खाने पीने की ऐसी चीजों की खोज कर रहे हैं जो लोगों को कैंसर से दूर रख सकें । विशेषज्ञों का कहना है कि हमें कभी कैंसर नहीं होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है, लेकिन अगर हम स्वस्थ्य आहार लेंगे तो हम अपने शरीर को ऐसी स्थिति में रखेंगे, जहां उसमें बचाव करने वाले कई तत्व होंगे और वह सही ढंग से कैंसर से खुद की रक्षा कर सकेगा।

2. कितने प्रकार का होता है कैंसर

आइए सबसे पहले ये जानते हैं कि आमतौर पर कैंसर होता कितने प्रकार का है और इसके लक्षण क्या होते हैं..

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कैंसर 100 से भी अधिक प्रकार का हो सकता है। साथ ही इन सभी के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। आइए जानते हैं कि सबसे अधिक फैलनेवाले कैंसर के कौन-से प्रकार हैं।

1. बोन कैंसर

यह इंसान के शरीर की हड्डियों पर अटैक करता है। आमतौर पर यह कैंसर बच्चों या बुजुर्गों को अपना शिकार बनाता है। इसकी वजह एक्सपर्ट्स शरीर में कैल्शियम की कमी को मानते हैं।

2. पैनक्रियाटिक कैंसर

पैनक्रियाटिक कैंसर यानी अग्नाश्य में होनेवाले कैंसर से व्यक्ति की भूख बाधित होती है। लगातर कमजोरी, मन खराब रहना, उल्टियां होना और पेट में हर समय जलन बने रहने की दिक्कत होती है। यह कैंसर आमतौर पर अधिक वसा युक्त भोजन और रेड मीट के अधिक सेवन से होता है।

3. स्किन कैंसर

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कैंसर लंबे समय तक बहुत अधिक तेज धूप में रहने, सही डायट ना लेने और फीजिकल ऐक्टिविटी ना करने जैसे स्थितियों में पनपता है। यह कैंसर हर आयुवर्ग के इंसान को अपनी चपेट में लेता है।

4. प्रोस्टेट कैंसर

प्रोस्टेट कैंसर शरीर की पौरुष ग्रंथि में होनेवाला कैंसर है। यह पुरुषों को तेजी से अपना शिकार बना रहा है। खास बात यह है कि इस कैंसर के बारे में काफी देर से पता चलता है और जानकारी के अभाव के चलते लोग गलत दिशा में इलाज कराते रहते हैं।

5. ब्रेस्ट कैंसर

ब्रेस्ट कैंसर आमतौर पर महिलाओं में होता है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि पुरुष इस बीमारी का शिकार नहीं होते हैं। स्तन कैंसर पुरुषों को भी अपना शिकार बनाता है।

6. ब्लड कैंसर

सबसे अधिक फैलनेवाले कैंसर में ब्लड कैंसर का नाम भी प्रमुखता से शामिल है। इस बीमारी में इंसान के शरीर की ब्लड सेल्स में कैंसर पनपने लगता है। इसके चलते शरीर में खून की कमी होना और इसका तेजी से पूरे शरीर में फैलना शुरू हो जाता है।

7. लंग कैंसर

कैंसर का यह प्रकार भी प्रदूषण और स्मोकिंग की वजह से अधिक फैलता है। लंग कैंसर में इंसान के फेफड़ों की स्थिति बहुत अधिक खराब हो जाती है। श्वांस लेने में दिक्कत, हर समय कफ की समस्या, हड्डियों और जोड़ों में दर्द भूख ना लगता।

8. ब्रेन कैंसर

 ब्रेन कैंसर को ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में ब्रेन में एक ट्यूमर बन जाता है, जो धीरे-धीरे फैलने लगता है और इंसान के पूरे शरीर को अपनी गिरफ्त में ले लेता है।

3. इन आदतों से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है

आज हम आपको कुछ ऐसी आदतें बताने जा रहे हैं, जिनको अपनाकर आप इस भयानक बीमारी के खतरे को कुछ कम कर सकते हैं…

कैंसर से बचने के लिए आपको सबसे पहले अपनी डाइट में हेल्दी डाइट शामिल करनी चाहिए। कार्बोहाइड्रेट फूड्स जैसे सफेद चावल, पास्ता व शक्कर शरीर में ऊर्जा व ग्लूकोज के स्त्रोत होते हैं, लेकिन इन्हें ज्यादा खाने से बचना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ाने के साथ ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ाते हैं।

वजन को कंट्रोल में रखना चाहिए। दरअसल ज्यादा वजन से पेट, ब्रेस्ट व गर्भाशय में कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इन अंगों में फैट बढने से ट्यूमर होता है। साथ ही फैट टिश्यू अत्यधिक मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन पैदा करते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।

शराब और सिगरेट किसी भी सूरत में अच्छी नहीं है। वहीं कैसर के खतरे को भी बढ़ाता है। इसलिए शराब और सिगरेट को अवॉयड करें। अगर ये आपकी लत बन चुकी है तो इसे कंट्रोल करने की कोशिश करें।

मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया है कि वेटलिफ्टिंग करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। इस अध्ययन में बताया गया है कि रोज़ाना वेटलिफ्टिंग करने से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।

पानी पीने से शरीर से विषैले पर्दाथ बहार निकलते हैं और यह कैंसर को भी कम करने में मदद करता है। जब आप भरपूर मात्रा में पानी पीते हैं तो इससे ब्लैडर यानि मूत्राशय के कैंसर को कभी कम किया जा सकता है।

आप खूब हरी सब्जियां और फल खाइए। दरअसल इनमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर व अन्य पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। फाइबर कैंसर पैदा करने वाले फ्री-रेडिकल्स को गेस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक तक नहीं पहुंचने देते जिससे इसके होने की आशंका कम हो जाती है।

 4. उम्र का कैंसर पर कितना असर

डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर बढ़ती उम्र में होने वाली बीमारी है लेकिन कम उम्र के लोगों में भी इस बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं । मगर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में प्रोफ़ेसर डॉक्टर एसवीएस देव का कहना है कि अब तो 20-25 साल के युवाओं में भी ये बीमारी देखने को मिल रही है।

डॉ एसवीएस देव ये भी जानकारी देते हैं कि एम्स में हेड एंड नेक, कोलोन और स्तन कैंसर के 30 प्रतिशत मामले आ रहे हैं जिनकी उम्र 35 से नीचे हैं।

बच्चों में कैंसर

बच्चों में कैंसर बहुत आम नहीं है। कुछ पश्चिमी देशों में 10 लाख बच्चों में 110 से 130 बच्चों में इसकी शिकायत मिली है। आबादी के आधार पर पर्याप्त आंकड़े नहीं हो पाने के कारण भारत में इस तरह के मामलों का पूरी तरह अनुमान लगाना संभव नहीं है। हालांकि एक अनुमान के मुताबिक, 14 साल से कम उम्र के बच्चों में कैंसर के लगभग 40 से 50 हजार नए मामले हर साल सामने आते हैं। 

5. कैंसर के कारण

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, तम्बाकू का सेवन प्रति वर्ष 22% कैंसर से होने वाली मौतों का कारण बनता है। अधिकांश फेफड़ों के कैंसर धूम्रपान से जुड़े हुए हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप में धुआं रहित तंबाकू का उपयोग अधिक प्रचलित है। इनमें गुटखा, पान मसाला, मशरी, कच्ची तम्बाकू, सुपारी आदि का उपयोग किया जाता है। तम्बाकू का सम्बन्ध फेफड़ों, मौखिक गुहा, गले, ग्रासनली, मूत्राशय, अग्न्याशय, गुर्दे, यकृत, पेट, आंत्र, ग्रीवा, अंडाशय के कैंसर से है। नाक और साइनस के साथ-साथ कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया। तम्बाकू में 4000 से अधिक प्रकार के रसायन होते हैं। इनमें से, लगभग 200 मानव शरीर के लिए हानिकारक हैं और लगभग 70 अलग-अलग रसायनों में कार्सिनोजेनिक पाया गया है।

मोटापा अत्यधिक वसा संचय को संदर्भित करता है। यदि बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 किलोग्राम / एम 2 से ऊपर है, तो व्यक्ति को अधिक वजन कहा जाता है। 30 से अधिक बीएमआई वाले लोगों को मोटापे कहा जाता है। यह दिल की बीमारियों, मधुमेह और कैंसर जैसे एंडोमेट्रियम, कोलन, ब्रेस्ट, अन्नप्रणाली, अग्न्याशय आदि के बढ़ते जोखिम के साथ जुड़ा हुआ है

प्रदूषण इसमें कार्सिनोजेनिक रसायनों के साथ वायु, पानी और मिट्टी का पर्यावरण प्रदूषण शामिल है। इन रसायनों का एक्सपोजर वायु और पीने के पानी के माध्यम से हो सकता है। आर्सेनिक जैसे रसायन पीने के पानी को दूषित करते हैं और इसके परिणामस्वरूप फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।

अल्कोहल अपने आप में कई कैंसर के साथ जुड़ा हुआ है, जिसका जोखिम शराब की बढ़ती मात्रा के साथ बढ़ता है। इसमें धूम्रपान के साथ-साथ सहक्रियात्मक क्रिया होती है और यदि कोई व्यक्ति शराब और तम्बाकू का सेवन करता है तो कैंसर के विकसित होने का जोखिम स्वतंत्र रूप से सेवन करने से जुड़े जोखिम से बहुत अधिक है।

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