गिलोय या गुडुची का आयुर्वेद में एक खास स्थान है। गिलोय एक बेल है, जिसे आसानी से घर में उगाया जा सकता है। वैसे, यह खुद भी इसके खास गुणों के कारण इसे अमृत के समान समझा जाता है और इसी कारण इसे अमृता भी कहा जाता है।
प्राचीन काल से ही इन पत्तियों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में एक खास तत्व के रूप में किया जाता है। गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर इस्तेमाल करते हैं। गिलोय को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है।
वैसे तो गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन भारत में कड़वी गिलोय का ही उपयोग दवा बनाने में किया जाता है। गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है, उसी के गुणों को ग्रहण कर लेती है इसीलिए नीम के पेड़ पर लगने वाली गिलोय को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ऐसी गिलोय को नीम गिलोय भी कहा जाता है।
बवासीर की दवा है गिलोय
बवासीर या पाइल्स बेहद दर्दनाक होते हैं और इनसे जितनी जल्दी छुटकारा मिले, उतना ही बेहतर है। गिलोय के इस्तेमाल से बनने वाली दवाएं हर प्रकार के बवासीर को ठीक कर सकती हैं। ध्यान सिर्फ इस बात का रखना है कि निर्देशों और परहेज का विशेष ध्यान दिया जाए।
बुखार में गिलोय
ऐसे लोग जो बुखार या अन्य बीमारी से परेशान हैं, उनके लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होती है। यह खून में प्लेटलेट्स को बढ़ाने और जानलेवा बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। डेंगू बुखार में भी गिलोय का सेवन बेहद फायदेमंद होता है।
पीलिया को ठीक करता है
पीलिया की बीमारी में भी गिलोय का सेवन बेहद फायदेमंद है। गिलोय के 20-30 पत्ते लेकर पीस लें। इस पेस्ट को एक गिलास ताजा छाछ में मिला लें। फिर छान कर मरीज को पिला दें।
इम्यूनिटी बढ़ाए
अगर कोई इंसान लगातार बीमार रहता है तो, इसकी वजह उसकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता या कमजोर इम्यूनिटी भी हो सकती है। इन समस्याओं की ओर तुरंत ही ध्यान दिया जाना चाहिए। ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए समय और पैसे खर्च करने की जगह, आप गिलोय के जूस का सेवन भी शुरू कर सकते हैं।
डायबिटीज़ में फायदेमंद
गिलोय में काफी मात्रा में हाइपोग्लाईकैमिक एजेंट पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए अक्सर एक्सपर्ट गिलोय के जूस का सेवन करने की सलाह देते हैं।