अस्थमा (दमा) फेफड़ों की एक बीमारी है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुड़न के चलते रोगी को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न, खांसी आदि समस्याएं होने लगती हैं।
दो दशकों में दमा या अस्थमा ने अपने पैर बड़े ही तेज़ी से पसारे हैं। अस्थमा किसी भी उम्र के इंसान को हो सकता हैं चाहे वो बूढ़ा हो, या बच्चा। आमतौर पर दमा का इलाज श्वास नलिका के सूजन की रोकथाम और मांसपेशियों को आराम देने पर ही केन्द्रित रहता है।
लक्षणों के आधार अस्थमा के दो प्रकार होते हैं-
बाहरी और आंतरिक अस्थमा। बाहरी अस्थमा बाहरी एलर्जन के प्रति एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, जो कि पराग, जानवरों, धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों के कारण होता है।
आंतरिक अस्थमा कुछ रासायनिक तत्वों को श्वसन द्वारा शरीर में प्रवेश होने से होता है जैसे कि सिगरेट का धुआं, पेंट वेपर्स आदि। आज विश्व अस्थमा दिवस पर हम आपको इस लेख में अस्थमा से जुड़ी समस्याओं और उपचार के बारे में बताएंगे।
अस्थमा के कारण
अस्थमा या दमा होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें मुख्य है वायु प्रदूषण। इस बिमारी के कारण सांस की नली में सूजन आजाती है या आसपास की माश्पेशियों में कसाव होता है। जिसके कारण हवा का आवागमन अच्छे से नहीं हो पता है।
अस्थमा होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जैसे-
- आनुवंशिक रूप से मिलने वाली एलर्जी जिसे अटॉपी (Atopy) कहते हैं।
- परिवार के सदस्य जिन्हें अस्थमा की बीमारी हो।
- बचपन में श्वसन तंत्र (Respiratory System) संबंधी संक्रमण।
- नवजात अवस्था में किसी वायरल इंफ्केशन के संपर्क में आना।
- तनाव के चलते।
- धूल कणों के संपर्क में आने से।
- एक्सरसाइज के कारण भी।
- पालतू जानवर के झड़ते बाल और रूसी से।
- वायु में रसायन की अधिकता से।
- धूम्रपान करने से।
- एस्पिरिन और एनएसएआईडीएस( NSAIDS) जैसी दवाइयों की वजह से।
- मौसम में बदलाव होने से।
अस्थमा के लक्षण
- सदा कफ बना रहे, सफेद गाढ़ा बलगम आता हो, सांस लेने पर घर्र- घर्र की आवाज़ तथा सीने पर किसी ने कसकर कपड़ा बांध दिया हो, ऐसा अहसास दमे के मुख्य लक्षणों में से है।
- अस्थमा माने सांस लेने में दिक्कत होना। यह रोग अचानक से शुरू हो सकता है इसके शुरू होने के लक्षण इस प्रकार हैं:
- – खांसी, छींक या सर्दी जैसी एलर्जी
- – सीने में खिचाव या जकड़न का महसूस होना
- – सांस लेते वक्त घरघराहट जैसी आवाज का आना
- – बैचेनी जैसा महसूस होना
- – सिर का भारी होना और थकावट लगना
- – उल्टी का होना आदि
अस्थमा से बचाव
अस्थमा को काबू में करने के लिए उसके कारणों के विपरीत आचरण करें। धूम्रपान न करें, कोई कर रहा हो, तो उससे दूर रहें, ठंड से एवं ठंडे पेय लेने से बचें, थकान का काम न करें, साँस फूलने लगे ऐसा श्रम न करें। डाक्टर्स बताते हैं कि दमा रोगी को ऐसी दवाइयां दी जाती हैं, जो श्वसन क्रिया को आसान बनाती हैं। इनहेलर्स का प्रयोग आजकल दमा रोग में किया जाता है। ये श्वसन तंत्र की सूजन को कम करते हैं। इससे रोगी को तुरंत आराम मिलता है और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।