आँखें हैं तो जहान है। अगर आप कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें तो आँखें न केवल जीवन भर आपका साथ देंगी, बल्कि उनका स्वास्थ्य व खूबसूरती भी बनी रहेगी। आँखें शरीर का सबसे कीमती एवं महत्वपूर्ण अंग हैं, इसलिए इनके स्वास्थ्य की देखभाल विशेष तौर पर की जाना चाहिए। शिशु अवस्था से लेकर वृद्धावस्था तक आँखों की देखभाल कैसे की जाए।
जरुरी उपाय
माँ को बच्चों की आँखों में से निकलने वाले लगातार डिस्चार्ज की ओर ध्यान देना चाहिए। यह आँखों की खराबी का प्रतीक हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर को मिलना जरूरी है। घटिया किस्म का काजल या सुरमा इस ख्याल से न लगाएँ कि यह बच्चे को नजर लगने से बचाएगा।
आँखों के संक्रमण का इलाज करने का एक अच्छा तरीका है। माँ के दूध में पहले से ही बहुत सारे विटामिन और पोषक तत्व होते हैं, साथ ही साथ बहुत सारे रोग-प्रतिरोधक भी होते हैं जो शिशु की इम्युनिटी मजबूत करने में मदद करती हैं। आपको बस एक ड्रॉपर का उपयोग करके शिशु की आँखों में दूध की एक बूंद डालनी है। इससे संक्रमण को कम किया जा सकता है।
बच्चों की आँखों की देखभाल का का सबसे कारगर तरीका है पानी का इस्तेमाल। थोड़े ठंडे पानी से आँखों को धोने से तुरंत राहत मिलती है और इसके अंदर हो सकने वाले किसी भी छोटे कणों को बाहर निकाल सकता है। उसके तुरंत बाद गर्म पानी में भिगोएं गए रुई के फाहे को आँखों पर रखें। तापमान परिवर्तन संक्रमण से निपटने में मददगार हो सकता है।
बचपन में आँखों के साथ ज्यादती की जाती है। बहुत ज्यादा टीवी देखने और कई घंटे पढ़ाई करने से आँखों पर जोर पड़ता है। आँखों में अगर कोई कमजोरी हो, जैसे दूर की नजर कमजोर हो या रंग विभेद दोष (कलर ब्लाइंडनेस) हो तो इस उम्र में उसका पता चल सकता है। कई घंटे पढ़ने के बाद जब आँखें थक जाएँ तो आराम के लिए उन पर साफ ठंडे पानी के छींटें डालें। आँखों और किताब के बीच लगभग १२ इंच की दूरी रखें।
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