Baby massage in hindi: भारत में शिशु की मालिश की परंपरा का पालन विस्तृत तौर पर किया जाता है। यह एक पुरानी परंपरा है और पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा माँ से बेटी को पारित की जाती रही है। मालिश आपके और शिशु के लिए कई मायनों में फायदेमंद है।
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ इंफैंट मसाज के अनुसार मालिश करने से शिशु का परिसंचरण और पाचन तंत्र उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है। इससे बच्चों में गैस, ऐंठन, कोलिक, कब्ज जैसी समस्याओं का इलाज हो सकता है।
मालिश आपके शिशु को शांत करने और उसे आरामदायक रखने में काफी मदद कर सकती है। शिशु को अच्छी नींद लेने और कम रोने में भी यह मददगार हो सकती है। मालिश के अन्य फायदों में वजन वृद्धि, पाचन में सुधार, रक्त संचार में सुधार और दांत निकलने के दर्द से राहत आदि शामिल हैं।
लाड़-प्यार को जाहिर करने का एक बढ़िया तरीका
शिशु की रोजाना मालिश, शिशु के प्रति अपने लाड़-प्यार और ममता को जाहिर करने का एक बढ़िया तरीका है। मालिश का समय एक-दूसरे के साथ बिताने का एक विशेष मौका हो सकता है। जब आप शिशु की मालिश करती हैं, तो आप स्वत: ही उससे बातें करने लगती हैं और आपको उसकी आंखों से आखें मिलाकर बात करने का पर्याप्त समय मिलता है।
शिशु की कितनी बार मालिश करनी है, ये निर्णय आप पर और आपके शिशु पर निर्भर करता है। कुछ माता-पिता रोज बच्चे की मालिश करते हैं जबकि कुछ पैरेंट्स हफ्ते में तीन दिन बेबी मसाज करते हैं। दिन की अच्छी शुरुआत के लिए आप सबुह के समय मालिश कर सकते हैं। वहीं रात को मसाज करने से बच्चे को अच्छी नींद आती है।
ठंडे पानी से न नहलाएं
- मालिश करने के बाद बच्चे को कभी भी ठंडे पानी से न नहलाएं उन्हें जुकाम हो सकता है। मालिश करने के बाद शरीर गर्म होता है। गर्मी के मौसम में हल्के गुनगुने पानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- मालिश करते समय बच्चों के अंगों पर अपने हाथों से कभी भी अधिक दबाव ना डालें बल्कि हल्के हाथों से मालिश करें।
- मालिश करते समय तेल को बच्चे की नाक व आंख से दूर करें।
- खाना खाने के एक दम बाद कभी बी बच्चे की मालिश न करें क्योंकि ऐसे में जब शरीर पर दबाव पड़ता है तो वह उल्टी कर सकते है ।