Brain Strock Symptoms Treatment: ब्रेन स्ट्रोक को सामान्य तौर पर लकवा भी कहा जाता है। शरीर में जब ऑक्सीजन की कमी होती है तो खून के दौरे में गिरावट आती है। इससे दिमाग के सेल्स तक खून नहीं पहुंचता और ये मरने लगती हैं। इससे इंसान का दिमाग ठीक ढंग से काम करना बंद कर देता है। इसे ही ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) कहते हैं। यह किसी भी व्यक्ति के लिए खरतनाक साबित हो सकता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल बहरानी ने बताया कि कैसे ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) से बचाव मुमकिन है?
कितनी तरह के होते हैं ब्रेन स्ट्रोक
ब्रेन स्ट्रोक 2 तरह के होते हैं। पहले में खून लाने-ले जाने वाली आर्टरीज़ में ब्लॉकेज होता है। इससे खून का दौरा थम जाता है। दूसरे ब्रेन स्ट्रोक में ब्रेन हेमरेज होता है यानी दिमाग के किसी हिस्से में खून बहने लगता है। इसे सामान्य भाषा में ब्लड क्लॉटिंग भी कहा जाता है। 85 फीसदी केसों में ब्लॉकेज वाला ब्रेन स्ट्रोक होता है, जबकि 15 फीसदी में हेमेरेज की शिकायत होती है।
ब्रेन स्ट्रोक के ये हैं लक्षण (brain strock symptoms)
ब्रेन स्ट्रोक के कई लक्षण होते हैं जैसे कि मरीज के हाथ-पैर में कमजोरी आना, आवाज चली जाना या आवाज में लडखड़़ाहट आने के साथ ही बेहोशी, चक्कर आना प्रमुख हैं।
ब्रेन स्ट्रोक में यह फॉर्मूला है कारगर
ब्रेन स्ट्रेाक के मामले में अंग्रेजी का FAST शब्द वाला फॉर्मूला बेहद कारगर है। इसमें F मतलब फेस से है यानी चेहरे में टेढ़ापन आ जाना, A का मतलब आर्म यानी हाथ में कमजोरी या सुन्न पड़ जाना, S का मतलब Speech में दिक्कत होना और T यानी टाइम पर इलाज होना। शुरुआती तीनों लक्षणों में से कोई भी नजर आने पर तुरंत न्यूरॉलजिस्ट की मदद लेना और जल्द-से-जल्द इलाज शुरू कराना बहुत जरूरी है।
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डॉक्टर को दें डिटेल्ड जानकारी
ब्रेन स्ट्रोक होने पर डॉक्टर को सभी छोटी-बड़ी सभी जानकारी दें। मरीज को पहले हुई परेशानियों को भी बताएं। डॉक्टर को ब्रेन स्ट्रोक का समय बताना भी जरूरी है। इसकी वजह ब्रेन में खून का प्रवाह रुक जाना है। अगर ब्रेन स्ट्रोक के साढ़े चार घंटे में मरीज को इलाज मिल जाए तो वह पूरी तरह ठीक हो सकता है। डॉक्टर खून के थक्के (क्लॉट) को पिघलाने वाली दवाएं समय पर दे सकते हैं। इससे क्लॉट को पिघलाना आसान होता है।
(डॉ. बहरानी एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में न्यूरॉलजी डिपार्टमेंट के एचओडी हैं।)
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