भारत में अब तक करीब 21 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना वायरस का टीका लगवा चुके हैं। कोरोना वायरस से बचाव के लिए दुनिया भर अब तक अलग-अलग नौ प्रकार के टीके तैयार किए जा चुके हैं जबकि कई अन्य पर रिसर्च जारी है। हालांकि इस बात पर संशय बरकार है कि जिन लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है, क्या वे दोबारा संक्रमित नहीं होंगे या क्या अब उन लोगों से कोरोना का वायरस नहीं फैलेगाय़
इस मामले में हाल ही में एक रिसर्च हुई है। नेचर मेडिसिन द्वारा हुए इस रिसर्च में यह पता लगाने की कोशिश की कई है कि क्या वैक्सीन लगवा चुके लोग भी कोरोना वायरस का संक्रमण फैला सकते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बिना लक्षण वाले या बहुत हल्की बीमारी वाले लोग कोविड-19 संक्रमण के फैलने में 86% तक जिम्मेदार हो सकते हैं।
जबकि एक अन्य स्टडी में यह पता चला है कि मॉडर्ना का टीका मुंह और नाक के द्रव्य में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी पैदा कर सकता है। ये एंटीबॉडी वायरस को शरीर में घुसने से रोक देती हैं। इस बात यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि टीका लगवा चुका व्यक्ति सांस लेने, छोड़ने और खांसने या छींकने के दौरान गिरने वाली बूंदों से वायरस नहीं फैला सकता।
इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जिन लोगों को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन टीका लगवाने के बाद कोविड -19 संक्रमण हुआ था, उनमें नॉन वैक्सीनेटेड लोगों की तुलना में कम वायरल लोड था।
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