Corona Mutant: कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। रोजाना 3 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में हाल में तीसरे म्यूटेंट (corona mutant) के सामने आने ने चिंता और बढ़ा दी है। इस म्यूटेंट को बंगाल म्यूटेंट (corona mutant) भी कहा जा रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार यह देसी वैरिएंट है और इसके संक्रमण फैलाने की रफ्तार बहुत ज्यादा है। दिल्ली के एम्स में कार्डियॉलजी के प्रोफेसर डॉ. संदीप मिश्रा के अनुसार किसी भी वायरस में म्यूटेशन होते रहते हैं।
वायरस में आमतौर पर हर महीने एक से दो म्यूटेशन होते हैं। दरअसल, किसी भी वायरस में 2 चीजें होती हैंः एक वायरस के ऊपर का प्रोटीन और दूसरा उसके अंदर मौजूद आरएनए। ऊपर का प्रोटीन एक पिन जैसी चीज होती है, जिससे वायरस सेल के अंदर जाता है या अटैक करता है। लेकिन जो बीमारी बढ़ाता है, वह वायरस में मौजूद आरएनए होता है। म्यूटेशन आमतौर पर स्पाइक प्रोटीन में होते हैं।
हालांकि कभी-कभी आरएनए में भी हो सकते हैं। कोरोना में म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन में हो रहे हैं। इससे इन्फेक्शन का रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है। हालांकि कुछ वायरस में इन्फेक्शन वक्त के साथ कम भी हो जाता है लेकिन तब लह वायरस जिंदा नहीं रह पाता। अगर बात हम अपने देश की करें तो पहले यहां डबल म्यूटेंट ज्यादा था। अब पश्चिम बंगाल में तीन म्यूटेंट का वायरस आ गया है।
माना जा रहा है कि इसके इन्फेक्शन का रेट ज्यादा है लेकिन अनुमान है कि इससे बीमारी की गंभीरता नहीं बढ़ रही है। हालांकि ऐसा कोई आंकड़ा अभी नहीं आया है। यहां एक और दिक्कत हो सकती है। ज्यादातर वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ बन रही हैं। ऐसे में वायरस के बार-बार स्पाइक बदलने से वैक्सीन का असर कम होने की आशंका हो सकती है। हालांकि इस बारे में भी अभी फाइनल कुछ नहीं कहा जा सकता।
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