Happy hypoxia
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Happy Hypoxia कोरोना की दूसरी लहर (Coronavirus second wave and Happy Hypoxia) में युवाओं में अचानक मौत के बहुत-से मामले सामने आ रहे हैं। उन्हें शुरुआत में पता ही नहीं चलता और ऑक्सीजन लेवल (Happy Hypoxia) अचानक गिर जाता है। कई बार मरीज बेहोश भी हो जाता है और कुछ मामलों में जान भी चली जाती है।

हैपी हाइपॉक्सिया बन रहा है बड़ी वजह
32 साल के नितिन को पिछले 4-5 दिन से हल्का बुखार था लेकिन बाकी कोई दिक्कत नहीं थी। बुखार के लिए गोली लेकर नितिन अपने सामान्य काम में लगे रहे। न उन्होंने आराम किया, न ही लगातार ऑक्सीजन चेक की। अचानक छठें दिन अचानक नितिन को चक्कर आया और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उन्होंने ऑक्सीजन लेवल चेक किया तो वह 80 था। नितिन ने रीडिंग देखी तो घबराहट और बढ़ गई। किसी तरह घरवालों ने उनके लिए बेड का इंतजाम किया और नितिन की जान बचाई जा सकी।

सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. अंशुमान कुमार का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में इस तरह के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें मरीज खासकर युवाओं को कोई दिक्कत नहीं होती और वे अपने रोजाना के काम में लगे रहे हैं। फिर अचानक उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। कुछ में गंभीर निमोनिया जैसी समस्याएं सामने आती हैं, तो कुछ में तो जान ही चली जाती है।

दरअसल, इस तरह के मामलों में ऑक्सीजन 70-80 फीसदी तक नीचे आने के बावजूद किसी तरह की दिक्कत नहीं लगती। मरीज को लगता है कि वह ठीक है। इसी गलतफहमी के कारण इसे हैपी हाइपॉक्सिया कहा जाता है। लेकिन इससे शरीर में कार्बनडाईऑक्साइड का स्तर काफी बढ़ जाता है। ऐसे में शरीर के कई अहम अंग काम करना बंद कर देते हैं और ब्रेन हेमरेज या कार्डिएक अरेस्ट से मरीज की जान चली जाती है।

डॉ. अंशुमान के अनुसार इससे बचाव का तरीका यह है कि हल्के भी लक्षण होने पर मरीज पूरी तरह आराम करे और हर 2-3 घंटे में अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें। ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे आ जाए तो मरीज पेट के बल (Prone position) लेट जाए और उसके लिए ऑक्सीजन का इंतजाम किया जाए।

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