hours needed for sleep : एक अच्छी नींद दरकार हर इंसान को होती है । जहां एक अच्छी नींद आपको तरोताजा और तनावमुक्त रहने में मदद करती है , वहीं कम और अधिक सोना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसकी वजह से दिल की बीमारी और डायबिटीज आदि हो सकते हैं। लेकिन हफ्ते के दौरान कम सोने वाले लोग वीकएंड में उसकी भरपाई कर सकते हैं, ताकि सेहत को नुकसान न पहुंचे। यदि नींद की कमी छुट्टी के दिन पूरी कर ली जाती है तो नींद की कमी से बढ़ने वाले मौत के खतरे का असर नहीं होता। ये बात सोने पर रिसर्च करने वालों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च में लिखी है।
बर्लिन के प्रसिद्ध शैरिटे मेडिकल कॉलेज के नींद चिकित्सा केंद्र के प्रमुख इंगो फीत्से का कहना है कि यदि वीकएंड पर नींद की भरपाई कर ली जाती है तो रोजाना सात से साढ़े सात घंटे सोना जरूरी नहीं है। स्टॉकहोल्म के कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट में तोरब्योर्न एकरस्टेट की टीम ने स्वीडन के करीब 44,000 लोगों के डेटा की स्टडी की। 13 साल की अवधि के दौरान उन्होंने देखा कि जिनकी मौत हुई, वे औसतन कितने घंटे सोते थे।
हालांकि इस बात का विश्लेषण नहीं किया गया कि क्या उन्होंने अपनी सोने की आदत इस दौरान बदली थी। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि नींद में कमी की भरपाई सेहत को खतरे में डाले बिना वीकएंड में पूरी की जा सकती है। जल्द मौत का खतरा सिर्फ उन लोगों को नहीं है जो औसत से कम सोते हैं बल्कि उन लोगों को भी जो उससे ज्यादा सोते हैं। रिसर्चरों ने पाया कि रोजाना 9 घंटे से ज्यादा सोने वाले 65 साल स् कम आयु के लोगों में भी मरने का जोखिम ज्यादा होता है। लेकिन बुजुर्ग मरीजों में रिसर्चरों ने मौत के खतरे में कोई बदलाव नहीं पाया, चाहे वे हफ्ते के दिनों में या वीकएंड में कितना भी सोते हों।
बर्लिन के नींद एक्सपर्ट फीत्से का कहना है कि छह घंटे से कम और 9 घंटे से ज्यादा सोना जीवन दर को कम करता है और डायबिटीज या कैंसर के जोखिम को बढ़ा देता है। इसके अलावा इसका असर लोगों के दिमाग पर भी पड़ता है। फीत्से बताते हैं, “रात में छह घंटे से कम की नींद का असर मिजाज पर दिखता है।” अगर आप खुशमिजाजी में दिन शुरू करना चाहते हैं तो कम-से-कम सात घंटे सोना जरूरी है। एक बात और, आने वाले दबाव की भरपाई पहले सोकर नहीं की जा सकती।
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