हेपेटाइटिस 5 तरह का होता हैः हेपटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई। इन पांचों तरह के हेपटाइटिस में हेपटाइटिस बी और सी ज्यादा खतरनाक होता है। जहां तक डाइट की बात है तो हेपटाइटिस के मरीजों को डाइट में खास परहेज नहीं रखना होगा। सामान्य हेल्दी डाइट की सलाह ही इन लोगों को दी जाती है।
लेकिन जिन लोगों को लिवर सिरोसिस होता है, उन्हें नमक जरूर कम खाना चाहिए। हेपटाइटिस के मरीजों को तला-भुना खाने से परहेज करना चाहिए क्योंकि इससे लिवर पर दबाव पड़ता है। इन्हें कार्बोहाइड्रेट वाला चीजें ज्यादा खाना चाहिए और इसकी तुलना में प्रोटीन थोड़ा कम लेना चाहिए।क्योंकि प्रोटीन को पचाने में लिवर को काफी मेहनत करनी पड़ती है। हालांकि डॉक्टर मरीज की लिवर की स्थिति देखकर ही प्रोटीन की मात्रा तय करते हैं।
- हेपटाइटिस के मरीजों को हाई कार्बोहाइड्रेट वाली और मीठी चीजें खानी चाहिए, जैसे कि केला, शकरकंद, चीकू, आलू आदि। इनसे एनर्जी ज्यादा मिलती है और लिवर पर भी ज्यादा जोर नहीं पड़ता।
- ऐसे लोगों को ऐनिमल प्रोटीन यानी जानवरों से मिलने वाला प्रोटीन (दूध, दही, पनीर आदि) की जगह वेजिटेबल प्रोटीन (सोयाबीन, दालें, छोले, लोबिया, काला चना आदि) ज्यादा लें। इनके लिए खासतौर मूंग दाल का सेवन करना काफी फायदेमंद है। मूंग दाल की खिचड़ी भी खासी फायदेमंद हो सकती है।
- हेपेटाइटिस के मरीज गाय का फैट-फ्री दूध और छाछ का सेवन कर सकते हैं। दूध से बने कस्टर्ड, खीर आदि भी ले सकते हैं।
- हेपटाइटिस के मरीजों को खिचड़ी, चावल, रोटी, दलिया, उपमा, इडली, मक्का, सूप, पोहा आदि खाने चाहिए। जहां तक फलों में मीठे फलों को प्राथमिकता दें, वहीं सब्जियों में हरी सब्जियां, आलू और जिमिकंद खाना चाहिए।
- ऐसे मरीजों को सलाद भी भरपूर खाना चाहिए लेकिन कच्चे सलाद के बजाय सलाद को हल्का भाप में पका कर खाएं। इससे इन्फेक्शन होने का खतरा कम होता है।
- ताजा जूस, सोया मिल्क और नारियल पानी को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
- हेपटाइटिस के मरीज तला-भुना खाना कम ही खाएं क्योंकि अगर लिवर पहले से कमजोर हो चुका है तो तला-भुना खाने से इस पर प्रेशर ज्यादा पड़ता है।
- गैस बनानेवाली चीजें जैसे छोले, राजमा, उड़द दाल आदि कम ही खाना चाहिए।
- हेपटाइटिस के मरीज नमक का इस्तेमाल कम कर दें, खासकर जिन्हें सिरोसिस है, उन्हें तो नमक बेहद कम कर देना चाहिए। ज्यादा नमक खाने से आपके शरीर में पानी जमा हो सकता है।
- हेपटाइटिस के मरीजों को शराब का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। अगर डॉक्टर इलाज के बाद इजाजत दे तो ही शराब पिएं और वह भी लिमिट में ही लें वरना शराब न पीना ही आपके लिए फायदेमंद है।
नोट : ऐसे मरीज को सलाह दी जाती है कि ये संयम न खोएं और अपनी दवा और डाइट पर पूरा ध्यान रखें क्योंकि शरीर के बाकी अंगों के मुकाबले लिवर के ठीक होने की संभावना और फिर से तैयार होने की क्षमता सबसे ज्यादा होती है
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