हर मां-बाप यही चाहते हैं कि उनका बच्चा बिल्कुल स्वस्थ्य और नॉर्मल रहे। यहां नॉर्मल का मतलब है दिमागी और शारीरिक तौर पर बिल्कुल हष्ट-पुष्ट बच्चा। छोटे बच्चे अक्सर रोने लगते हैं। लेकिन बच्चे का रोना अलग-अलग वजहों से हो सकता है। मोटे तौर पर बच्चे के रोने के तरीके से अनुमान लगा सकते हैं कि बच्चा किस वजह से रो रहा है।
पेट की परेशानी
12 महीने तक के बच्चों को गैस बनने की समस्या बहुत कॉमन है। गैस, दस्त और पेट फूलने पर भी बच्चे बहुत रोते हैं। अगर बच्चा पैर पटक-पटक कर रो रहा हो और उसके रोने से आपको लगे कि वह दर्द में है या शिकायत कर रहा है तो समझ जाएं कि वह पेट की समस्या से परेशान है।
भूख लगने पर
भूख लगने पर बच्चे बहुत ज़्यादा रोते हैं। बच्चों को पेट छोटा होता है इसलिए उन्हें थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाना पड़ता है। भूख लगने पर बच्चे बहुत ज़ोर-ज़ोर से रोते हैं और अपना सिर भी इधर-उधर घूमाते रहते हैं।
दर्द होने पर
दर्द होने पर बच्चे लगातार ज़ोर-ज़ोर से रोते हैं। अगर बच्चा बीच-बीच में चीखकर भी रो रहा है तो समझ जाइए कि उसे दर्द हो रहा है या उसकी तबियत ठीक नहीं है। दर्द होने पर बच्चे बहुत तेज-तेज रोते हैं।
नींद आने पर
बच्चों को आराम और नींद की बहुत ज़रूरत होती है। नींद आने पर बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और रोने लगते हैं। अगर बच्चा बार-बार रो रहा है और साथ में उबासी ले रहा है या अपनी आखें मल रहा है तो उसे किसी शांत जगह पर ले जा कर सुला दें।
यदि आपके शिशु की तबियत ठीक न हो, तो वह शायद अपने सामान्य से अलग स्वर में रोएगा। यह स्वर कमजोर, बहुत तेज, लगातार या फिर ऊंचे स्वर में हो सकता है। वैसे अगर बच्चा आमतौर पर काफी ज्यादा रोता है, मगर अब असामान्य ढंग से शांत हो गया है, तो यह भी एक संकेत है कि उसकी तबियत सही नहीं है।