What is asthma, causes, symptoms and prevention of asthma
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कभी-कभी सांस लेने में दिक्कत एक आम बात है। कई बार ज्यादा खाना खाने के बाद भी सांस लेने में परेशानी हो सकती है, लेकिन अगर ऐसा बार-बार होता है और लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहती है तो ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा होने पर छाती में जकड़न महसूस हो सकती है, सांस फूल सकती है या सांस चढ़ने जैसा अनुभव हो सकता। बार-बार सांस फूलने की समस्या को डिस्‍पेनिया कहते हैं। इस स्थिति में फेफड़ों में पर्याप्‍त मात्रा में हवा नहीं आ पाती। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से मिलना जरूरी है।

सांस लेने में तकलीफ के ये हो सकते हैं कारण

वजन ज्यादा होना
जिसका वजन जितना ज्यादा होगा, उसे सांस लेने में उतनी ही तकलीफ होगी। मोटे लोगों में सांस फूलने की समस्या आम है। वजन में इजाफा और सक्रियता की कमी रोजमर्रा के कामों को प्रभावित करने लगती है। ऐसे में थोड़ा-सा चलने, दौड़ने या सीढि़यां चढ़ने पर परेशानी होने लगती है।

श्वास नली या फेफड़ों में दिक्कत
शरीर में जितने भी सेल्स हैं, उन्हें जीवित और स्वस्थ रहने के लिए ऑक्सिजन की जरूरत होती है। साथ ही, शरीर से कार्बन-डाइ-ऑक्साइड का बाहर निकालना भी बहुत जरूरी है। इन दोनों कामों के लिए फेफड़ों का स्वस्थ्य रहना बहुत ही जरूरी है। श्वास नली के जाम होने या फेफड़ों में छोटी-मोटी परेशानी होने पर सांसें छोटी आने लगती हैं। ध्यान दें यदि आपको यह समस्या लंबे समय से है तो यह किसी दूसरी बीमारी के लक्षण हो सकते है, जैसे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी (सीओपीडी) या फिर निमोनिया।

दूसरे भी कारण हो सकते हैं
दिल के रोग जैसे एंजाइना, एसीदमिया, हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर आदि दिल की बीमारियों के चलते भी सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। दरअसल, कमजोर होने पर दिल की मांसपेशियां सामान्य स्पीड से ब्लड पंप नहीं कर पातीं। फेफड़ों पर दबाव बढ़ जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। ऐसे लोग रात में जैसे ही सोने के लिए लेटते हैं, उन्हें खांसी आने लगती है। इसके अलावा इसमें पैरों या टखनों में भी सूजन आ जाती है और व्यक्ति को सामान्य से ज्यादा थकान रहती है।

सांस लेने में तकलीफ होने पर क्या करें
अगर सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। आइए जानते हैं कि सांस लेने में परेशानी होने पर क्या करना चाहिएः

जीवनशैली में करें बदलाव
स्मोकिंग न करें और तंबाकू के सेवन से भी बचें। प्रदूषण और वातावरण में मौजूद जहरीले पदार्थों से दूर रहें। मोटापा घटाएं और ज्यादा तापमान में कठिन व्‍यायाम करने से बचें। संतुलित आहार और आठ घंटे की नींद लें।

अदरक का उपयोग करें
ताजा अदरक खाने या गर्म पानी में अदरक डालकर पीने से भी सांस की नली में संक्रमण के कारण हो रही सांस फूलने की दिक्‍कत को कम करने में मदद मिल सकती है। स्‍टडी बताती हैं कि अदरक सांस की नली में संक्रमण पैदा करने वाले आरएसवी वायरस से लड़ने में असरकारी है।

भाप लें
भाप लेने से नासिका मार्ग खुल जाता है जिससे सांस लेने में आसानी होती है। भाप की गर्मी और नमी भी फेफड़ों में जमा म्‍यूकस को पिघला सकती है जिससे सांस लेने में हो रही दिक्‍कत कम हो सकती है। एक बर्तन में गर्म पानी भरें और उसमें पुदीने या यूकेलिप्‍टस ऑयल की कुछ बूंदें डालें। एक कपड़े से सिर को ढक कर इस बर्तन से थोड़ा ऊपर रख लें और पानी की भाप लें।

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