हर एक लड़की की बढ़ती उम्र के साथ हॉर्मोनल चैंजेस भी आते हैं। इस कारण प्रीमेन्स्ट्रुअल सिन्ड्रोम (PMS) की प्रॉब्लम भी बढ़ जाती है। करीब 85 प्रतिशत महिलाएं पीएमएस का अनुभव करती हैं। वहीं 40 प्रतिशत महिलाओं को इस दौरान तनाव होता है। वहीं 2 से 3 प्रतिशत लोग तनाव की शिकार हो जाती है। जिसका असर उनके आम दिनचर्या पर पड़ता है। अगर पीएमएस इतना गंभीर हो जाए कि आपको एक साधारण ज़िंदगी जीने से रोके, तो इसे ‘प्री-मेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसॉर्डर’ या पीएमडीडी कहते हैं।
क्या होता है पीएमएस?
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) महिलाओं से जुड़ी ऐसी समस्या है, जिसका असर इमोशनल डिसॉर्डर के रूप में ज्यादा सामने आता है। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम मेंस्ट्रुअल साइकिल या हार्मोंस में गडबडी के कारण नहीं बल्कि हार्मोंस में बदलाव के कारण होता है। इसके कारण शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर भी बढ़ जाता है, जिससे चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग होना और तनाव जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और महिलाएं इसे प्रेगनेंसी समझ लेती हैं।
85% औरतों को होती है ये समस्या
पीरियड्स शुरू होने के 5-11 दिन पहले लगभग 85% महिलाओं को पीएमएस के लक्षण महसूस होते हैं। जैसे ही मासिक धर्म शुरू हो जाता है ये लक्षण खत्म हो जाते हैं। वहीं 20-32% महिलाएं PMS के गंभीर लक्षण महसूस करती हैं जिसके कारण उन्हें पीरियड्स के समय काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
डॉक्टर्स का कहना है कि जब महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण पीएमएस होता है तो उन्हें शरीर में दर्द महसूस होता है। खासकर ब्रेस्ट या फिर पेट पर। वहीं कई लड़कियों का मूड अचानक बदल जाता है। वह गुस्सैल होने के साथ-साथ छोटी सी बात में रो या फिर हंस देती हैं।
मानसिक बीमारियों की सूचि ‘डायगनॉस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैन्युअल ऑफ़ मेंटल डिसॉर्डर्स’ (डीएसएम) में पीएमडीडी के कुछ लक्षण दिए गए हैं। अगर आपको इनमें से कुछ आपको महसूस होते हैं तो इसका मतलब आप पीएमडीडी से पीड़ित हो सकते हैं।
पीएमएस के लक्षण
- 1. डिप्रेशन और आत्महत्या करने के ख़्याल
- 2. अक्सर रोना आना
- 3. काम में मन न लगा पाना
- 4. थकान और एनर्जी की कमी
- 5. बहुत ज़्यादा या कम खाना
- 6. बहुत ज़्यादा या बहुत कम नींद आना
- 7. पसंद की चीज़ों में मन न लगा पाना
- 8. पेटदर्द, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द जैसे शारीरिक लक्षण
राहत पाने के लिए ये टिप्स अपनाएं-
- हर दो से तीन घंटों में संतुलित आहार लें। खाने में संपूर्ण अनाज का आटा, ब्रेड, शकरकंद जैसे अन्य फल और सब्जियां, ब्राउन राइस खाएं।
- सप्ता में कम से कम 5 बार 30-30 मिनट व्यायाम करें। वॉक और साइकिलिं या स्विमिंग भी की जा सकती है।
- अगर धूम्रपान करती हैं, तो इसे तुरंत बंद करें।
- शराब पीती हैं तो इसे भी कंट्रोल करें।
- नियमित और पूरी नींद लें।
- तनाव कम करने के लिए योगा, मेडिटेशन, स्ट्रेचिंग और श्वसन व्यायाम करें और अच्छा म्यूजिक सुनें।