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कोविड से जुड़ी ये बीमारियां हो सकती हैं खतरनाक
 
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कोविड का खतरा कम हो ही नहीं रहा। खास बात यह है कि कई बार मरीज को सिर्फ हल्के लक्षण दिखते हैं और अचानक बीमारी गंभीर हो जाती है या फिर जान भी चली जाती है। न सिर्फ कोविड खुद कम समस्या पैदा कर रहा है, बल्कि यह दूसरी बीमारियों को भी जन्म दे रहा है। कोरोना से जुड़ी ऐसी ही कुछ बीमारियां हैंः 

1. माइकोमाइयसिस (Mucormycosis): 
इसे ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है। जिन मरीजों की इम्युनिटी कमजोर है, उनके लिए इसका खतरा ज्यादा है। जैसे कि डायबिटीज, एड्स, किडनी या हार्ट के मरीजों में इसके होने की आशंका ज्यादा होती है। यह नाक, गले से होता हुआ शरीर के किसी भी हिस्से में फैल सकता है। संक्रमण होने पर आंख की रोशनी जाने के साथ-साथ जान भी जा सकती है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि ब्लड  शुगर को कंट्रोल में रखें और स्टेरॉयड का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें। साथ ही, हाइजीन का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए ऑक्सीजन ट्यूब का दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ध्यान रखें कि ऑक्सीजन थेरपी वाले मरीजों के ह्यूमिडिफायर में पानी साफ हो। खतरे वाले मरीज दो बार नाक को सलाइन से धोएं। कोविड ठीक होने के एक हफ्ते बाद ईएनटी या फिर आई स्पेशलिस्ट से जांच कराएं। 

2. साइटोकाइन स्टॉर्म (Cytokine Storm):
साइटोकाइन स्टॉर्म के बारे में जानने से पहले साइटोकाइंस (Cytokines) को समझना होगा। साइटोकाइंस एक तरह के प्रोटीन होते हैं, जिसे हमारे सेल्स बनाते हैं। जब कोई इन्फेक्शन होता है तो उसे ठीक करने के लिए हमारा शरीर एक इम्यून रिस्पॉन्स बनाता है। साइटोकाइंस भी उसका हिस्सा होते हैं। ये एक तरह से वायरस से लड़ने वाले सैनिक होते हैं, पर कई बार किसी पैथोजन की वजह से इम्यून रिस्पॉन्स हाइपर हो जाता है यानी ज्यादा मात्रा में साइटोकाइंस बनने लगते हैं। एक तरह से शरीर में साइकोकाइंस का तूफान आ जाता है और ये शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगते हैं। युवाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है क्योंकि आमतौर पर उनमें बीमारी के गंभीर लक्षण नहीं होते। ऐसे में वे बीमारी को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते और इलाज शुरू करने में देरी कर देते हैं। इन्फेक्शन होने के पांच-छह दिन बाद गंभीर लक्षण सामने आ जाते हैंl तब तक कई मामले गंभीर हो जाते हैं। 

3) मायकार्डाएटिस (Myocarditis):
मायोकार्डाएटिस एक तरह की सूजन है, जो दिल की मसल्स को कमजोर करती है। दरअसल, कोविड कई बार मरीजों के दिल पर असर करता है। इससे दिल में सूजन हो जाती है और उसके ब्लड पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। कई बार हार्टबीट भी बहुत धीमी या फास्ट हो जाती है। कई बार क्लॉटिंग भी हो जाती है, जो स्ट्रोक की वजह भी बन सकती है। यह समस्या आमतौर पर कोविड के लगभग ठीक हो चुके मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रही है। 

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