बच्चा जब जन्म लेता है तो सबसे पहली चीज जो वह करता है, वह सांस लेना। इससे समझ में आता है कि सांस इंसान के लिए सबसे अहम चीज है। जब तक सांस चलती है, तभी तक इंसान की जिंदगी चलती है। लेकिन हम में से ज्यादातर लोगों को सांस लेने का सही तरीका ही नहीं मालूम होता। अगर हम कम उम्र से ही अपने बच्चे को सही तरीके से सांस लेना सिखा दें तो इससे उनकी काम करने की क्षमता तो बढ़ेगी ही, फिटनेस का लेवल भी बहुत बेहतर हो जाएगा।
जानें सांस लेना का फॉर्म्युला:
दरअसल, सांस लेने का एक सिंपल-सा फॉर्म्युला है- SSDL, यानी S= Slow, S=Smooth, D=Deep, L=Lengthy। सबसे पहले जरूरी है कि हम सांस धीमी रफ्तार से लें। धीमी रफ्तार से सांस लेने से ज्यादा मात्रा में ऑक्सिजन तो मिलती ही है, हमारे लंग्स को भी फिजूल एनर्जी खर्च नहीं करनी पड़ती। जिस तरीके से धीमी सांस लेना जरूरी है, उसी तरह सांस स्मूद भी होनी चाहिए। इतनी सहज कि अपनी सांस की आवाज खुद आपको भी सुनाई नहीं देनी चाहिए। साथ ही, सांस लेते हुए किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखनी चाहिए। साथ ही, सांस जितनी गहरी होगी, उतना ही उसका फायदा भी आपको ज्यादा मिलेगा।
बच्चे को ऐसे डालें सही तरीके से सांस लेने की आदत:
अब सवाल उठता है कि बच्चे को सही तरीके से सांस लेने की आदत कैसे डालें। तो इसके लिए हम आपको बताते हैं एक सिंपल-सा तरीका। शुरुआत में आप बच्चे को जमीन पर लिटाएं और उसके पेट पर एक किताब रखें। फिर बच्चे को लंबी गहरी सांस लेने को कहें। अब देखें कि बच्चा जब सांस लेगा तो उसकी टमी बाहर की तरफ आएगी और जब वह सांस निकालेगा तो टमी अंदर जाएगी। इसे बैलून से भी समझ सकते हैं। जिस तरह बैलून हवा भरने पर फूल जाता है और हवा निकलने पर पिचक जाता है, उसी तरह हमारा पेट भी सांस भरने पर बाहर को जाता है और हवा निकलने पर अंदर जाता है।
सवाल यह भी है कि सांस लंग्स से लेते हैं तो पेट बाहर क्यों जाता है? इसका जवाब यह है कि जब लंग्स में हवा भरती है तो डायफ्राम से होते हुए दबाव पेट तक जाता है। ऐसे में पेट बाहर को जाता है।
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