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एक ऐसा कैंसर, जो खा जाता है शरीर की मसल्स, कैसे बचें इस जानलेवा बीमारी से
 
Sarcoma Cancer Causes Symptoms PreventionSarcoma Cancer Causes Symptoms Prevention
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Sarcoma Cancer Causes Symptoms Prevention: हमने अभी तक कई तरह के कैंसर के बारे में सुना है। लेकिन क्या आपने कभी सरकोमा कैंसर (Sarcoma Cancer) के बारे में सुना है? दरअसल, सरकोमा सॉफ्ट टिशूज का कैंसर (Cancer) है। सरकोमा से कैसे बच सकते हैं और क्या है इसका सही इलाज, (Sarcoma Cancer Causes Symptoms Prevention) बता रहे हैं सर्जिकल ऑनकॉलजिस्ट डॉ. शुभम गर्गः (Surgical Oncologist Shubham Garg)

सरकोमा सॉफ्ट टिसूज़ का कैंसर है और इससे बचाव का इकलौता तरीका इस कैंसर के रिस्क फैक्टरों से हरसंभव दूरी बनाए रखना है। हालांकि सरकोमा के ज्यादातर मामले उन लोगों में देखे जाते हैं, जिनमें कोई रिस्क फैक्टर नहीं होता। ऐसे में सरकोमा का वक्त पर सही इलाज और भी जरूरी हो जाता है।

कार्सिनोमा से अलग है सरकोमा (sarcoma is different from carcinoma)
कार्सिनोमा और सरकोमा में काफ़ी अंतर है। जहां कार्सिनोमा शरीर के किसी अंग का कैंसर है, वहीं सरकोमा कनेक्टिव टिशू से संबंधित होता है, यानी कि जो चीजें हमारे शरीर को बनाने में मदद करती हैं जैसे कि मसल्स, यह वहां होता है। साथ ही दोनों का इलाज भी अलग-अलग होता है।

सरकोमा के लक्षण (Sarcoma Cancer Symptoms)
कोई भी ऐसी गांठ, जो शरीर में बहुत लंबे समय से मौजूद है और धीरे-धीरे बढ़ रही हो। यह कैंसर की शुरुआत हो सकती है। यह कई बार व्यक्ति के पेट और फेफड़ों के अंदर पाया जाता है। इसकी जांच के लिए जरुरी है कि आप अपना रूटीन चेकअप करवाते रहे।

शुरुआती स्टेज में पकड़ पाना मुश्किल? (Sarcoma Cancer: Difficult to catch in the initial stage?)
इसे शुरुआती स्टेज में पकड़ने के लिए जरुरी है कि शरीर में हो रही छोटी— छोटी चीजों को नजरअंदाज न करें। अगर शरीर में कोई बीमारी दवाई लेने से भी ठीक नहीं हो रही हो, तो कैंसर स्पेशलिस्ट से जांच जरूर करवाएं। शरीर में किसी भी अंग में गांठ जैसी समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। कई बार शरीर में गांठ होने पर दर्द नहीं होता। ऐसे में हमें उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत कैंसर स्पेशलिस्ट को दिखाना चाहिए।

लक्षण दिखने पर जांच जरुरी?

  1. क्लिनिकल एग्जामिनेशन यानी कि किसी भी तरह की गांठ को डिक्टर्स छूकर, दबा कर उसकी जांच करें। जैसे कि लाइकोमा एक गांठ होती है, जोकि बहुत ही मुलायम होती है।
  2. ऐसे कैंसर के लिए दो तरह के टेस्ट होते हैं। पहला इंवेसिव टेस्ट जिसमे सुई लगती है और दर्द होता है। दूसरा होता है नॉन इंवेसिव टेस्ट जिसमें व्यक्ति को कोई दर्द नहीं होता। यह स्क्रीनिंग के जरिए होता है।
  3. अगर गांठ व्यक्ति की हड्डी में है तो उसके लिए एक्सरे करवाना जरूरी होता है।

सरकोमा के रिस्क फैक्टर (Risk Factors of Sarcoma Cancer)
रेडिएशन एक्सपोजर सरकोमा का एक रिस्क फैक्टर है। इसका खतरा उन लोगों को होता है जिनका रेडिएशन एक्सपोजर ज्यादा होता है। जिन लोगों को न्यूक्लियर बॉम्ब का एक्सपोजर हुआ था, उनमें बड़ी संख्या में सरकोमा हुआ। सरकोमा या किसी भी कैंसर से बचाव के लिए जरुरी है कि आप अपने खानपान का उचित ध्यान रखें और रोज एक्सरसाइज करें। साथ ही शरीर में मामूली बदलाव होने पर भी डॉक्टर को दिखाएं।

(डॉ. शुभम गर्ग की HealthOPD से बातचीत पर आधारित। डॉ. गर्ग फोर्टिस इंटरनैशनल ऑन्कॉलजी सेंटर में सीनियर कंसल्टेंट हैं।)

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